धर्म के नाम पर अनपढ़ लोगों ने अपनी परिभाषाएं बना डाली हैं : डा. स्वामी दिव्यानन्द जी महाराज

admin  1 month, 1 week, 2 days ago Top Stories

PANIPAT AAJKAL : यह ठीक है कि सत्संग सौभाग्य से मिलता है किन्तु यह सब तभी ठीक होगा यदि हमारे पास सत्संग श्रवण करने की सूक्ष्म कला भी हो। क्योंकि शास्त्रों शास्त्रों की बातें केवल ज्ञानी हीं नहीं करते अपितु नासमझ लोग भी शास्त्रों की बातें कर डालते हैं। उनके अर्थ उनकी मर्जी वाले होते हैं। वे नहीं होते जो यथार्थ में होने चाहिए और ऐसे ही लोग धीरे-धीरे मत मजहब बना लेते हैं और यथार्थ में धर्म क्या है लोग भूल जाते हैं। यह प्रवचन श्री सनातन धर्म महाबीर दल पानीपत द्वारा हनुमान जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित वार्षिकोत्सव में तपोवन हरिद्वार से पधारे पूज्य गीता व्यास डा. स्वामी दिव्यानंद जी महाराज ने चार दिवसीय कथा के तीसरे दिवस पर कही। सर्वप्रथम कथा की शुरूआत मुख्य अतिथि विपिन बठला, जतिन बठला, नितिन बठला, कृष्ण रेवड़ी ने दीप जलाकर की। डा. स्वामी दिव्यानन्द जी महाराज ने कहा कि आज धर्म के नाम पर अनपढ़ लोगों ने अपनी परिभाषाएं बना डाली हैं। हनुमान जी का चरित्र दर्शन, धर्म का सही मूल्यांकन है। सेवा, सिमरन, विवेक, बुद्धि बल, निराभिमानिता, धीरता, वीरता का समन्वय यदि यथार्थ में देखना है तो हनुमान चरित्र में दर्शन करो। तभी तो इन्हें ‘‘सकल गुण निधानम्’’ कहा गया है। सफलता के उच्चतम शिखर पर पहुँचने का यदि किसी ने मैनेजमेंट कोर्स करना है तो वह हनुमान जी के निर्देशन में सीखे। अहंकार और क्रोध का साकार रूप रखना अपनी अहंकारी दैत्यों की सभा में पुत्र अक्षय के मरण में शोकाकुल हो उस सभा मे अक्षय कुमार को मारने वाले अशोक वाटिका को उजाड़ने वाले हनुमान जी वह भी बन्दी के रूप में आवें। किन्तु पूरी तरह से निर्भीक निशंक? रावण को समझने में देर नहीं लगी कि इस व्यक्तिव में कोई ऐसी दिव्यता है जो इसे निर्भय बनाये हुई है। उन्हीं सद्गुणों को ग्रहण करने के लिए यह हनुमान जयंती मनाई जा रही है।  इस अवसर पर प्रधान हेमन्त लखीना, पंकज सेठी, कश्मीरी लाल, श्रवण लखीणा, वेद प्रकाश शर्मा, संत लाल जुनेजा, अशोक चुघ, पंकज ढींगरा, महेश जुनेजा कैलाश नारंग, महिंदर जुनेजा, अशोक जुनेजा, तुलसी दास, विनोद चुघ, वेद सेठी, अमित जुनेजा रवींद्र गांधी आदि उपस्थित थे।

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